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तुम आ जाते:

तुम आ जाते:
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यादें तो आया करतीं हैं अक्सर,
क्या ख़ूब होता जो तुम आ जाते 

दुख-दर्द ही पाया है तुमसे सदा  हमने,
क्या ख़ूब होता जो तुम्हें पा‌ जाते।

वो दरिया का मंजर,वो बहता सा पानी,
 जो मिल जाते तुम तो ग़म मिटा  जाते

वो शामों की महफ़िल वो चांदनी रातें,
तुम ग़ज़लों का गा कर क्योंकर आंसू बहाते।

शामें ढलती जातीं रातें भी घिर घिर आतीं,
कब सहर हो जाती  कुछ समझ ही न पाते।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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6 Comments

Punam verma

13-Apr-2023 09:14 AM

Very nice

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Abhinav ji

13-Apr-2023 08:27 AM

Very nice 👍

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खूबसूरत भाव

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